उत्तर प्रदेश एग्रीस्टैक में फॉर्मर रजिस्ट्री: एक क्रांतिकारी पहल
भारत के कृषि क्षेत्र को डिजिटल क्रांति की ओर ले जाने के प्रयास में, उत्तर प्रदेश सरकार ने एग्रीस्टैक (Agristack) योजना को अपनाया है। इस योजना का उद्देश्य कृषि क्षेत्र में तकनीकी नवाचारों के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाना और उनकी समस्याओं का समाधान करना है। इस दिशा में सबसे महत्वपूर्ण कदम फॉर्मर रजिस्ट्री (Farmer Registry) का निर्माण है, जो राज्य के किसानों को एक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर एकीकृत करता है।
फॉर्मर रजिस्ट्री क्या है?
फॉर्मर रजिस्ट्री एक ऐसा डिजिटल डेटाबेस है, जिसमें राज्य के सभी किसानों की जानकारी जैसे कि उनका नाम, पता, खेत का आकार, फसल का प्रकार, भूमि रिकॉर्ड, और सरकारी योजनाओं से प्राप्त लाभ सम्मिलित हैं। यह रजिस्ट्री किसानों को सरकार की योजनाओं और सुविधाओं से सीधे जोड़ने में मदद करती है।
फॉर्मर रजिस्ट्री की विशेषताएं
1. डिजिटल पहचान: प्रत्येक किसान को एक यूनिक आईडी प्रदान की जाती है, जिससे वह विभिन्न सरकारी योजनाओं और सब्सिडी का लाभ सीधे प्राप्त कर सकता है।
2. भूमि रिकॉर्ड का सत्यापन: भूमि रिकॉर्ड और किसानों की जानकारी को डिजिटली सत्यापित किया जाता है, जिससे धोखाधड़ी की संभावना कम होती है।
3. फसलों की जानकारी: किसानों द्वारा उगाई जा रही फसलों की जानकारी दर्ज की जाती है, जिससे बाजार और सरकारी खरीद के लिए सही आंकड़े उपलब्ध होते हैं।
4. सरकारी योजनाओं तक सीधी पहुंच: किसान विभिन्न योजनाओं जैसे पीएम किसान योजना, बीज और उर्वरक सब्सिडी, फसल बीमा आदि का लाभ बिना किसी बिचौलिये के प्राप्त कर सकते हैं।
फॉर्मर रजिस्ट्री का लाभ
पारदर्शिता में वृद्धि: किसानों और सरकार के बीच की पारदर्शिता बढ़ती है, क्योंकि सभी जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध होती है।
समय और धन की बचत: किसानों को योजनाओं के लिए लंबी प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ता, जिससे उनका समय और धन बचता है।
सटीक नीति निर्माण: सरकार के पास किसानों की सटीक जानकारी होने से कृषि नीतियों और योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू किया जा सकता है।
वित्तीय समावेशन: किसानों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से वित्तीय सहायता प्राप्त होती है।
रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया-
फार्मर रजिस्ट्री में किसानों को अपना रजिस्ट्रेशन करने के लिए सरकार की तरफ से सभी गांव में कैंप का आयोजन किया जा रहा है अभी फार्मर रजिस्ट्री के लिए किसने को ब्लॉक की तरफ से कैंप लगाकर सत्यापन कराया जा रहा है साथ ही जन सेवा केंद्र के माध्यम से भी किसान अपना रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं जो किसान अपना रजिस्ट्रेशन स्वयं करना चाहते हैं वह अपने मोबाइल के द्वारा भी अप एग्रीकल्चर अपना रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं रजिस्ट्रेशन के बाद तीन-चार दिन के अंदर अगर उनकी जानकारी सही होती है तो उनको एक सर्टिफिकेट डिजिटल सर्टिफिकेट प्रदान कर दिया जाता है जिसमें सभी प्रकार के रिकॉर्ड दर्ज होते है
आपको बता दे की सरकार की तरफ दी जाने वाली पीएम किसान सम्मन निधि की राशि अब उन्हें किसानों को ट्रांसफर की जाएगी जिन्होंने अपना रजिस्ट्रेशन फॉर्म रजिस्ट्री में कर लिया है जब तक ही रजिस्ट्रेशन किसने की तरफ से नहीं किया जाएगा तब तक पीएम किसान सम्मन निधि की तरफ से मिलने वाली धनराशि उनके खातों तक जमा नहीं कराई जाएगी अतः आप सभी किसान इसमें अपना रजिस्ट्रेशन जरूर करवाएं जिससे किसान सम्मान निधि की राशि आपके खाते में पहुच सके|
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फॉर्मर रजिस्ट्री में नाम दर्ज कराने के लिए किसानों को निम्नलिखित प्रक्रियाओं का पालन करनाफार्मर रजिस्ट्री होता है:
1. ऑनलाइन आवेदन: किसान सरकारी पोर्टल या मोबाइल ऐप के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं।
2. आवश्यक दस्तावेज: आधार कार्ड, भूमि रिकॉर्ड, बैंक खाता विवरण, और फसल की जानकारी की आवश्यकता होती है।
3. सत्यापन: अधिकारियों द्वारा भूमि रिकॉर्ड और अन्य जानकारी का सत्यापन किया जाता है।
4. रजिस्ट्रेशन की पुष्टि: सत्यापन के बाद किसान को यूनिक आईडी प्रदान की जाती है।
चुनौतियां और समाधान
हालांकि फॉर्मर रजिस्ट्री एक क्रांतिकारी पहल है, लेकिन इसके कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियां भी हैं:
डिजिटल साक्षरता की कमी: ग्रामीण इलाकों में कई किसानों को डिजिटल माध्यमों का ज्ञान नहीं है। इसके समाधान के लिए सरकार को जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है।
इंटरनेट कनेक्टिविटी: दूरस्थ क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की कमी को दूर करने के लिए सरकार को इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार पर ध्यान देना होगा।
फॉर्मर रजिस्ट्री, उत्तर प्रदेश एग्रीस्टैक योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो कृषि क्षेत्र में डिजिटल क्रांति लाने का प्रयास कर रही है। यह पहल किसानों के जीवन को सरल और समृद्ध बनाने में मददगार साबित हो रही है। यदि इसे सही तरीके से लागू किया गया, तो यह न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश में कृषि के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर सकती है।
"डिजिटल किसान, समृद्ध किसान!"